टिड्डे का शिकार करती डायन मक्खी। |
डायन मक्खी घोर अवसरवादी एवं प्रभावशाली परभक्षी होती है. डायन मक्खी के ये गुण इसके शारीरक ढांचे में निहित होते हैं. इन मक्खियों की टांगें काफी मजबूत होती हैं. ऊपर से इन पर कसुते कांटे होते हैं. इनके माथे पर दो जटिल एवं विशाल आँखों के मध्य खास खड्डे में तीन सरल आँखें भी होती हैं. अपनी इन आँखों व् टांगों के कारण ही ये मक्खियाँ शिकार का कोई अवसर हाथ से नही जाने देती. इनके चेहरे पर कसुते करड़े बालों वाली मुच्छ होती हैं जो मुठभेड़ के समय इनके बचाव के काम आती हैं.
टिड्डे को बेहोश करती डायन मक्खी। |
शिकार फांसने के लिए लुटेरों जैसी रणनीति के कारण ही शायद इन्हें डायन या डाकू मक्खी कहा जाने लगा. डायन मक्खी अपने अड्डे से शिकार करती हैं. ये मक्खी अपना अड्डा खुली एवं धुप वाली जगह बनाती हैं. अड्डे की जगह पौधों की टहनी, ठूंठ, पत्थर व ढेला आदि कुछ भी हो सकती है. इस मचान पर बैठ कर ही यह मक्खी अपने शिकार का इंतजार करती रहती है. यहाँ से गुजरने वाले शिकार पर झपटा मरने के लिए इस मचान से उड़ान भरती हैं. कीट वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यह डायन मक्खी अपनी टोकरिनुमा कांटेदार टांगों से ही उड़ते हुए कीटों को काबू करती हैं. हमने तो इस मक्खी को कई बार जमीन पर बैठे - बिठाए टिड्डों को भी झपटा मार कर अपनी गिरफ्त में लेते हुए देखा है.
टिड्डे का खून पिते हुए डायन मक्खी। |
इनके भोजन में मक्खी, टिड्डे, भुंड, भिरड, बीटल, बग़, पतंगे व तितली आदि कीट शामिल होते हैं. डायन मक्खी कई बार अपने से बड़े जन्नोर का शिकार भी कुशलता से कर लेती हैं.
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