Wednesday, July 29, 2009

प्राकृतिक कीटनाशी - डायन मक्खी

टिड्डे का शिकार करती डायन मक्खी।
जिला जींद के फसलतंत्र में किसान मित्र के रूप में डायन मक्खी भी पाई जाती हैं. जी, हाँ! , राजपुरा ईगराह रूपगढ, निडाना व ललित खेडा के किसान तो इसे इसी नाम से जानते हैं जबकि अंग्रेज इसे Robber Fly कहते हैं. नामकरण की द्विपदी प्रणाली के अनुसार यह डायन मक्खी, Dipterans के Asilidae परिवार की Machimus प्रजाति है.
डायन मक्खी घोर अवसरवादी एवं प्रभावशाली परभक्षी होती है. डायन मक्खी के ये गुण इसके शारीरक ढांचे में निहित होते हैं. इन मक्खियों की टांगें काफी मजबूत होती हैं. ऊपर से इन पर कसुते कांटे होते हैं. इनके माथे पर दो जटिल एवं विशाल आँखों के मध्य खास खड्डे में तीन सरल आँखें भी होती हैं. अपनी इन आँखों व् टांगों के कारण ही ये मक्खियाँ शिकार का कोई अवसर हाथ से नही जाने देती. इनके चेहरे पर कसुते करड़े बालों वाली मुच्छ होती हैं जो मुठभेड़ के समय इनके बचाव के काम आती हैं.
टिड्डे को बेहोश करती डायन मक्खी।
 शिकार फांसने के लिए लुटेरों जैसी रणनीति के कारण ही शायद इन्हें डायन या डाकू मक्खी कहा जाने लगा. डायन  मक्खी अपने अड्डे से शिकार करती हैं. ये  मक्खी अपना अड्डा खुली एवं धुप वाली जगह बनाती हैं. अड्डे की जगह पौधों की टहनी, ठूंठ,  पत्थर व ढेला आदि कुछ भी हो सकती है. इस मचान पर बैठ कर ही यह मक्खी अपने शिकार का इंतजार करती रहती है. यहाँ से गुजरने वाले शिकार पर झपटा मरने के लिए इस मचान से उड़ान भरती हैं. कीट वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यह डायन मक्खी अपनी टोकरिनुमा कांटेदार टांगों से ही उड़ते हुए कीटों को काबू करती हैं. हमने तो इस मक्खी को कई बार जमीन पर बैठे - बिठाए टिड्डों को भी झपटा मार कर अपनी गिरफ्त में लेते हुए देखा है.
टिड्डे का खून पिते हुए डायन मक्खी।
शिकार को पकड़ते ही, डायन अपना डंक उसके शरीर में घोपती है व इस डंक के जरिये ही वह शिकारी के शरीर में अपनी लार छोड़ती है. इस लार में एक तो ऐसा जहरीला प्रोटीन होता है जो तुंरत कारवाई करते हुए शिकार  के स्नायु- तंत्र को सुन्न करता है तथा दूसरा एक ऐसा पाचक प्रोटीन होता है जो शिकार के शरीर के अंदरूनी हिस्सों को अपने अंदर घोल लेता है. इन घुले हुए हिस्सों को डायन मक्खी ठीक उसी तरह से पी जाती हैं जैसे कोई बड़ा - बुड्डा दूध में दलिया घोल कर पी जाता है.
इनके भोजन में मक्खी, टिड्डे, भुंड, भिरड, बीटल, बग़, पतंगे व तितली आदि कीट शामिल होते हैं. डायन मक्खी कई बार अपने से बड़े जन्नोर का शिकार भी कुशलता से कर लेती हैं.


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