Wednesday, August 5, 2009

प्राकृतिक कीटनाशी - दीदड़ बुगडा

दीद्ड़ बुगड़ा का प्रौढ़
बड़ी - बड़ी आँखों वाला यह छोटा सा किसान हिमायती कीट जिला जींद में भी पाया जाता है। सिर के दोनों ओर बाहर तरफ की उभरी हुई बड़ी-बड़ी आखों के कारण ही इसे यहाँ के किसान दीदड़ बुगड़ा कहते हैं। माँ की दुधी के साथ अंग्रेजी घोट कर पीये हुए लोग, इसे Big Eyed Bug कहते हैं। जीव-जंतुओं के नामकरण की द्विपदी प्रणाली के मुताबिक इसका नाम Geocoris sp. है। इस प्रणाली के अनुसार यह कीट Hemiptera क्रम के Lygaeidae परिवार का सदस्य है।

पहचान:
दीद्ड़ बुगड़ा का निम्फ
इस कीट का शरीर अन्डेनुमा पर थोड़ा बहुत चपटा होता है।  जाथर को देखते हुए इसका ललाट चौड़ा होता है जिसके दोनों तरफ़ बाहर की ओर उभरी हुई बड़ी-बड़ी आँखें होती हैं। इसके शरीर की लम्बाई लगभग चार मिलीमीटर होती है. इसके शरीर का रंग आमतौर पर स्लेटी, भूरा या हल्का पीला होता है। मुँह के नाम पर इस कीट का सुई जैसा डंक होता है जिसकी मदद से यह कीट अन्य कीड़ों का खून चूसता है।  इसके
निम्फ अपने प्रौढों जैसे ही होते है। बस  प्रौढों की तरह निम्फों के
पंख नहीं होते।
खान पानः
यह कीट शारीरिक तौर पर जितना छोटा होता है, शिकारी के तौर पर उतना ही खोटा होता है। इस कीट में उपर - नीचे व अगल - बगल में तेज़ी से घूमने की काबिलियत होती है। इस  गजब की चाल के कारण ही यह कीट उम्दा किस्म का आखेटक होता है। इस कीट के निम्फ व प्रौढ़, दोनों ही,  कुटकियों, चेप्पों व पौधों की पत्तियों पर पाए जाने वाले फुदकों का खून चूस कर अपना गुजारा करते हैं। ये बुगडे़ छोटी - छोटी इल्लियों, मकड़ीनुमा कुटकियों व पिस्सूआ बीटलों का भी खून पीते हैं। ये दीदड़ बुगडे़ सुई जैसी अपनी डंक की मदद से विभिन्न कीटों के अण्डों से जीवन-रस चूसने के तो विशेषज्ञ होते हैं। अंडे चाहे अमेरिकन सुंडी के हों, चित्तकबरी सुंडी के हों, गुलाबी सुंडी के हों, भुन्डों के हों, बीटलों के हों या किसी भी कीट के हों - इनके भोजन  का मुख्य हिस्सा होते हैं।
क्रिप्टोलेमस, ब्रुमस व नेफस जैसी किसान हिमायती छोटी - छोटी बीटलों का शिकार करने में भी इनको कोई गुरेज़ नहीं होता।  "बूढा मरो या जवान - हत्या सेती काम" किसानों का दोस्त फंसे या दुश्मन  - इस बात से इन बुगडों को कोई मतलब नहीं होता। बस इन्हें तो अपना पेट भरने से मतलब होता है  वो किसी के खून से  भर जाए- कोई बात नही। कपास की फसल में मिलीबग पाए जाने पर इन बुगडों के निम्फों व प्रौढों के ठाठ हो जाते हैं। कपास की फसल में मिलीबग का खून चूसते हुए इस दीदड़ बुगडे की वीडियो निडाना के किसानों ने बनाई है।  देखना या ना देखना, मर्जी आपकी। प्रकृति में खाने और खाए जाने के अदभुत खेल के खिलाड़ी भी हैं ये बुगडे। पर हमारे फसल- तंत्र में इनको खाने वाले कम तथा इन द्वारा खाए जाने वाले अधिक हैं।  इसीलिए तो इन दीदड बुगडों की गिनती किसानों की कीट-नियंत्रण में सहायता करने वाले उम्दा हिमायतियों में होती है। किसानों व कीटों को इस बात की जानकारी है या नहीं, ये  जानकारी तो हमेँ भी नहीं।

3 comments:

  1. रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

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  2. मेरे ब्लॉग पर आने और सराहने के लिए हार्दिक धन्यवाद. आपने insecticidesसे होने वाले कुप्रभावों पर प्रकाश डालने की बात कही. बिलकुल सही है, आजकल सब्जियों और फलों में इतने रासायनिक पदार्थ प्रयोग किये जाने लगे हैं की सारे खाद्य पदार्थ दूषित हो गए हैं. एक डाक्टर होने के नाते मैं समय समय पर इस तरह के विषयों पर लिखता रहूँगा.
    कृषि में आपका ज्ञान किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है. लिखते रहिये. आभार

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