है। पेट पर निंगाह पड़ते ही ततैये जैसा दिखाई नजर आने लगता है। ऐसे में लालित खेड़ा की कविता ने इस कीट को सुन्दरो कह दिया तो क्या जुर्म कर दिया। अब यहाँ के किसान इस कीड़े को सुन्दरो के नाम से ही जानते हैं। लेकिन अंग्रेज लोग तो इसे owlfly के नाम से जानते हैं। जबकि इसका ना तो उल्लू से कोई वास्ता ओर ना ही मक्खियों से कोई रिश्ता। जारजटिया वंश से तालुक रखने वाले Ascalaphidae परिवार का यह कीटभक्षी खेतों में फसलों के ऊपर उड़ता दिखाई देता है। दे भी क्यों नही! चम्बो को उड़ते हुए ही शिकार जो करना पड़ता है। शिकार अपने हाण के या अपने से छोटे कीट का ही आसानी से किया जा सकता हैं। इनके भोजन में भान्त-भान्त की पौधाहारी सुंडियों के प्रौढ़ पतंगे एवं तितलियाँ, भान्त-भान्त के भूंड एवं भँवरे, भुनगे -फुदके आदि कीट शामिल होते हैं। जो फंस गया उसी से पेट भर लिया। मतलब भोजन के मामले में सुन्दरो नकचढ़ी बिलकुल नही होती। चलताऊ नजर से देखने पर तो चम्बो के ये प्रौढ़ आराम करते हुए बने-बनाये लोपा मक्खी जैसे ही दिखाई देते हैं। पर जरा गौर से निंगाहते ही इसके ढूंढ़रूदार लम्बे-लम्बे एंटीने नजर आने लगते हैं। जो लोपा मक्खियों से मेल नहीं खाते। पर आराम करते हुए इनका बैठने का ढंग लोपा मक्खियों से मेल खाता है। शिकारियों से बचने के लिए ही बैठने के मामले में चंबो खाड़कू लोपा मक्खियों की नकल करती हैं।
Monday, May 11, 2009
सुन्दरो: एक प्राकृतिक कीटनाशी
है। पेट पर निंगाह पड़ते ही ततैये जैसा दिखाई नजर आने लगता है। ऐसे में लालित खेड़ा की कविता ने इस कीट को सुन्दरो कह दिया तो क्या जुर्म कर दिया। अब यहाँ के किसान इस कीड़े को सुन्दरो के नाम से ही जानते हैं। लेकिन अंग्रेज लोग तो इसे owlfly के नाम से जानते हैं। जबकि इसका ना तो उल्लू से कोई वास्ता ओर ना ही मक्खियों से कोई रिश्ता। जारजटिया वंश से तालुक रखने वाले Ascalaphidae परिवार का यह कीटभक्षी खेतों में फसलों के ऊपर उड़ता दिखाई देता है। दे भी क्यों नही! चम्बो को उड़ते हुए ही शिकार जो करना पड़ता है। शिकार अपने हाण के या अपने से छोटे कीट का ही आसानी से किया जा सकता हैं। इनके भोजन में भान्त-भान्त की पौधाहारी सुंडियों के प्रौढ़ पतंगे एवं तितलियाँ, भान्त-भान्त के भूंड एवं भँवरे, भुनगे -फुदके आदि कीट शामिल होते हैं। जो फंस गया उसी से पेट भर लिया। मतलब भोजन के मामले में सुन्दरो नकचढ़ी बिलकुल नही होती। चलताऊ नजर से देखने पर तो चम्बो के ये प्रौढ़ आराम करते हुए बने-बनाये लोपा मक्खी जैसे ही दिखाई देते हैं। पर जरा गौर से निंगाहते ही इसके ढूंढ़रूदार लम्बे-लम्बे एंटीने नजर आने लगते हैं। जो लोपा मक्खियों से मेल नहीं खाते। पर आराम करते हुए इनका बैठने का ढंग लोपा मक्खियों से मेल खाता है। शिकारियों से बचने के लिए ही बैठने के मामले में चंबो खाड़कू लोपा मक्खियों की नकल करती हैं।
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आज काफी दिनों के बाद निडाना हाइट्स पर आया। बहुत अच्छा लगा। सबसे अच्छा लगा प्रभार खेत पाठशाला का पेज। किसानों और मजदूरों के जीवन पर्यन्त संघर्ष करने वाले इस वीर किसान को शत-शत नमन
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