कपास सेधक कीट मिलीबगः संक्षिप्त परिचय
|
सिवासण मिलीबग |
|
कपास पर मिलीबग |
|
टमाटर पर मिलीबग |
|
धतूरे पर मिलीबग |
हिन्दुस्तान में अंग्रेजी के अखबार दि ट्रिब्यून के संपादक की 24 नवंबर,2001 को अंग्रेजी में डांट खा कर, अमेरिकन सूंडी ने यहाँ अब तक दोबारा गर्दन उठाने की हिमाकत नही की है। पर बी.टी. बीजों के प्रचलन के साथ ही हमारी कपास की फसल में एक नया हानिकारक कीड़ा नजर आने लगा। 2007 में इस कीट की गिनती कपास के प्रमुख सेधक कीटों में होने लगी। कीट वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान फिनोकोकस सोलेनोप्सिस नामक मिलीबग के रुप में की। किसान इसे मिलीबग, मिलीभगत, फुही आदि नामों से पुकारने लगे। कपास की खेती में अचानक आई इस नई मुसिबत को मिडिया कर्मियों ने "कपास का भस्मासुर" नाम दे दिया। सोलेनोप्सिस नामक यह मिलीबग मूलतः अमेरिका का निवासी है। अमेरिका में ही सबसे पहले इस कीड़े को सन् 1897 में टिंस्ले ने सजावटी पौधों पर देखा था। कपास की फसल में भी इस कीट को पहली बार 1990 में अमेरिका में ही देखा गया। फ्यूच व उसके मित्रों ने इस तथ्य की पुष्टि की थी। अब तो अर्जेंटिना, ब्राजील, घाना, नाइजीरिया, इस्राइल, पाकिस्तान, भारत, इन्डोनेशिया, थाइलैंड व चीन आदि देशों में कपास की फसल पर आक्रमण करते हुए यह मिलीबग आम पाया जाता है।
कपास का यह भस्मासुर एक बहुभक्षी कीट है। हरियाणा में किसानों ने इस मिलीबग को कपास के अलावा कांग्रेस-घास, चौलाई, साँठी, कचरी, भम्भोले, अक्संड, कंघी-बुटी, आवारा-सूरजमुखी, उल्ट-कांड, बाजरी, धतूरा, भूमि-आंवला आदि गैरफसली पौधों पर फलते-फूलते हुए देखा है। भिंडी, बैंगन, टमाटर आदि सब्जियों की फसल पर इस कीट का प्रकोप यहाँ आम बात हो गई है। चाईना-रोज जैसे सजावटी पौधे पर यह कीट देखा गया है| हिंस, नीम व पीपल जैसे दरखतों पर भी जींद शहर में इस कीट को देखा गया है। पाकिस्तान में तो पौधों की 154 प्रजातियों पर इस रस चूसक कीट की उपस्थिति दर्ज की गई है।
पहचान और जीवनचक्रः
|
सिवासण मिलीबग। |
मादाः इस मिलीबग की मादाएं पंखहीन होती हैं। इनका अंडाकार शरीर 3-4 मि.मी. लंबा होता है। मादा मिलीबग का यह शरीर सफेद रंग के मोम्मियाँ पाऊडर से ढ़का रहता है। मादा मिलीबग के शरीर पर यह पाऊडर जल विकर्षक का काम करता है। इस मादा मिलीबग की धड़ और पेट पर काले धब्बे होते हैं जो गहरी अनुदैर्ध्य (longitudinal) लाइनों के रूप में दिखाई देते हैं। सिवासण मादा मोम्मिया अंडेदानी में 150 से 600 तक अंडे देती हैं। मादा इस अंडेदानी को अपनी छाती के निचे छुपा कर रखती है। 3 से 9 दिनों में इन अंडों से निम्फ निकलते हैं। मिलीबग के ये निम्फ बहुत चंचल व सक्रिय होते हैं तथा इन्हें क्रॉलर के नाम से जाना जाता है। मिलीबग की यह निम्फल अवस्था बीस-बाईस दिन की होती है|
|
गाभरु मिलीबग। |
|
मधुर मिलन |
नरः इस मिलीबग के बालिग नर 1 मि.मी. लंबे होते हैं। इनका शरीर भूरे रंग का होता है। इनके एक जोड़ी पारदर्शी पंख होते हैं। इनके पेट के अंत से सफेद मोम के दो तन्तु से निकले रहते हैं जो उड़ान के दौरान संतुलन साधने में सहायक होते हैँ। अविकसित मुखांग होने के कारण ये बालिग नर कुछ खा-पी नही सकते। इन नरों की उमर बामुश्किल दो-ढ़ाई दिन की ही होती है। इस दौरान मादाओं के साथ सहवास करने के अलावा इनके पास कोई काम नही होता।
No comments:
Post a Comment